इसे हिंदी में बैरूंज कहते हैं लेकिन सामान्य रूप से यह सभी जगह ‘एक्वामरीन के नाम से ही जाना जाता है। इसके हल्के और समुद्री नीले रंग के कारण इसका नाम ‘एक्वामरीन’ पड़ा है।अपनी सुंदरता और ज्योतिष में इसकी उपयोगिता के कारण सभी उपरत्नों में यह सबसे ज्यादा प्रचलित रत्न है।
यह कठोर रत्नों में से एक है।वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक्वामरीन शुक्र का उपरत्न है और अत: शुक्र से संबंधित अच्छे लाभ प्राप्त करने के लिए इसे पहना जाता है।हीलिंग थेरेपी में भी यह रत्न अपनी उपयोगिता रखता है।इस रत्न को समुद्र से जोड़ कर भी देखा जाता है अत: यह मन और हृदय से संबंधित है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र से संबंधित अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए एक्वामरीन धारण किया जाता है।साथ ही इसको धारण करने से व्यक्ति की प्रगति में कोई बाधा नहीं आती और वह समुद्र के समान विशालता और निरंतर चलने वाले गुण से बहुत नाम और धन प्राप्त करता है।
ऐसा प्रचलन है कि लंबी समुद्री यात्राओं से पहले इसे गुड लक के लिए पहना जाता था।शुक्र से संबंध प्रेम से भी जोड़ता है।इसे पहनने से लव-लाइफ में पॉजिटिविटी आती है।
यह इंडोक्राइन ग्लेंड पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है साथ ही हार्मोंनल बेलैंस को भी बरकरार रखता है।