ग्रहों में सबसे अधिक गति से चलने वाला चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है| चन्द्र को काल पुरुष का मन कहा गया है| चन्द्र माता , मन, मस्तिष्क, बुद्धिमता, स्वभाव, जननेन्द्रियों, प्रजनन सम्बन्धी रोगों , गर्भाशय इत्यादि का कारक है | इसके साथ ही चन्द्र व्यक्ति की भावनाओं पर नियन्त्रण रखता है | वह जल तत्व ग्रह है | सभी तरल पदार्थ चन्द्र के प्रभाव क्षेत्र में आते है | इसके अतिरिक्त चन्द्र बाग-बगीचे, नमक, समुद्री औषधी, परिवर्तन, विदेश यात्रा, दूध, मान आदि को ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र से देखा जा सकता है | चन्द्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है | चन्द्रमा किसी ग्रह से शत्रु संबन्धन हीं रखता है | चन्द्रमा मंगल, गुरु, शुक्र व शनि से सम संबन्ध रखते है | चन्द्र कर्क राशि का स्वामी है | चन्द्र वृ्षभ राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है | चन्द्र वृ्श्चिक राशि में होने पर नीच राशि में होते है | चन्द्र ग्रह उत्तर-पश्चिम (वाव्य) दिशा का प्रति निधित्व करता है |
चंद्र ग्रह के निर्बल या दूषित होने के लक्षण :
चन्द्रमा कृष्ण पक्ष का या नीच या शत्रु राशि में हो तथा अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चंद्रमा निर्बल हो जाता है | ऎसी स्थिति में जातक निद्रा व आलस्य में घिरा रहता है एवं मानसिक रुप से बेचैन, मन चंचलता से भरा रहता है , मन में भय व्याप्त रहता है , और जातक के मन की स्थिति अस्थिर रहती है , जातक की माता को कष्ट पहुँचता है, जातक को नज़ला जुकाम इत्यादि बना रहता है | चन्द्र कुण्डली में कमजोर या पिडित हो , तो व्यक्ति को ह्रदय रोग, फेफडे, दमा, अतिसार, दस्त गुर्दा, बहु मूत्र, पीलिया, गर्भाशय के रोग, माहवारी में अनियमित ता, चर्मरोग, रक्त की कमी, नाडी मण्डल, निद्रा, खुजली, रक्त दूषित होना, फफोले, ज्वर, तपेदिक, अपच, बलगम, जुकाम, सूजन, जल से भय, गले की समस्याएं, उदर-पीडा, फेफडों में सूजन, क्षय रोग | चन्द्र प्रभावित व्यक्ति बार-बार विचार बदलने वाला होता है |
चंद्र ग्रह को दोष मुक्त करने के लिए रत्न – मोती
मोती (पर्ल) ज्योतिष शास्त्र का एक प्रमुख रत्न है। यह एक जैविक संरचना है। यह ज्योतिष शास्त्र के नौ प्रमुख रत्नों में से एक महत्वपूर्ण रत्न है। यह रत्न चंद्रमा से सम्बंधित है। यह देखने में बहुत सुंदर और शांत होता है।यह आपके दिमाग और शरीर के रसायनों पर सीधा प्रभाव डालता है। इसका प्रभाव बहुत धीमा और सूक्ष्म होता है।
मोती पहनना मन को शांत करता है, तनाव को कम करता है, नींद में सुधार करता है और मन से डर को हटा देता है। यह आपके शरीर में हार्मोन को संतुलित करता है। यह आपकी वित्तीय स्थितियों में भी सुधार करता है। यह रत्न डॉक्टर को अद्भुत लाभ प्रदान करता है।
आपको मोती पहनते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह आपके मानसिक स्तर को धीरे-धीरे प्रभावित करता है।
मोती रत्न को विभिन्न लग्न और तत्वों के आधार पर पहनना शुभ रहता है। यह रत्न मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों के लिए फायदेमंद रहता है। सिंह, तुला और धनु राशि के लोगों के लिए यह रत्न कई विशेष परिस्थिरियों में फायदेमंद रह सकता शुक्ल पक्ष के समय सोमवार की रात को चांदी की अंगूठी में दांये हाथ की छोटी उंगली में मोती पहनें। यह आपके लिए कई तरह से लाभदायक साबित होगा। आप मोती को पूर्णिमा के दिन भी पहन सकते |
मोती धारण करने की विधि :
यदि आप चंद्र देव का रत्न मोती धारण करना चाहते है, तो 5.25 से 8 कैरेट के मोती को चाँदी की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम सोमवार को सूर्य उदय के पश्चात अंगूठी को दूध, गंगा जल, शक्कर और शहद के घोल में डाल दे! उसके तत्पश्चात अंगूठी को निकाल कर ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नमः |का 108 बारी जप करते हुए मंत्र के पश्चात् अंगूठी को शिवजी के चरणों से लगाकर कनिष्टिका ऊँगली में धारण करे! मोती अपना प्रभाव 4 दिन में देना आरम्भ कर देता है, और लगभग 1 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है फिर निष्क्रिय हो जाता है! 1 वर्ष के पश्चात् पुनः नया मोती धारण करे! अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए साऊथ सी का मोती धारण करे! ध्यान रहे : मोती का रंग सफ़ेद और उसपर कोई दाग नहीं होना चाहिए ! कल्चर्ड या कृत्रिम मोती न पहने इससे लाभ के जगह हानि होती है
यदि असली मोती न मिले तो सिर्फ चांदी की अंगूठी कम से कम 1/2 तोले की पहन सकते हैं , इससे भी चंद्र ग्रह शांत होता हैं |
ध्यान रहे : मोती के साथ गोमेद और लहसुनिया पहनने से मोती से होने वाले फायदे का कोई असर नहीं हो पाता है । गोमेद और लहसुनिया राहु केतु के रत्न हैं जो मोती के साथ विपरीत असर डालते हैं ।
असली एवं शुद्ध अभिमंत्रित किया हुआ मोती हमसे भी खरीद सकते हैं , अन्यथा निशुल्क परामर्श भी कर सकते हैं |- WHATSAPP – 9805840001
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