ज्योतिष विज्ञान में फलित के बाद उपाय का स्थान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ।उपायों में एक है रश्मि विज्ञान, जिसे ज्योतिष विज्ञान में रत्न ज्योतिष विज्ञान कहते हैं ।रत्नों के द्वारा विभिन्न ग्रहों की रश्मियों व तरंगों द्वारा मानव के शरीर में पहुंच कर स्थायी उपाय किया जाता है ।रत्न विज्ञान के आधार पर ज्योतिष में कई पद्धतियां उपाय के लिए रत्न धारण की आज्ञा प्रदान करती हैं परंतु सिद्ध एवं प्राण प्रतिष्ठा किए बिना रत्न धारण करना विशेष सफल या चमत्कारी फलदायी नहीं होता ।
टाइगर रत्न’ सबसे अधिक प्रभावी तथा बहूपयोगी एवं शीघ्र फल प्रदान करने वाला स्टोन है।इसे टाइगर आई भी कहते हैं ।इस रत्न पर टाइगर के समान पीली एवं काली धारियां होने के कारण इसे ‘टाइगर स्टोन’ कहते हैं । यह प्रभाव में भी टाइगर (चीता) के समान लक्षण उत्पन्न करता है ।इसे धारण करने से तुरंत लाभ हो जाता है । जो व्यक्ति आत्मविश्वास की कमी के कारण बार-बार व्यापार एवं अन्य कार्यों में असफल होता हो, दुखी जीवन व्यतीत कर रहा हो, उस व्यक्ति को टाइगर स्टोन गजब का आत्मविश्वास प्रदान करता है ।इसे धारण करने से पूर्ण सफलता मिलती है तथा व्यक्ति साहसी एवं पुरुषार्थी बन जाता है ।शेर जैसा आत्मबल और साहस भी यह रत्न प्रदान करने में सक्षम है ।डरपोक, उदासीन व्यक्तियों का यह स्टोन अदृश्य साथी माना जाता है ।ऐसे व्यक्तियों में टाइगर रत्न पहनने से जागरूकता उत्पन्न होती है ।
यह उन व्यक्तियों के लिए भी शुभ फल प्रदान करता है जिनका भाग्य सोया हुआ है ।सोए भाग्य से आशय है कि व्यक्ति अपने प्रयासों का पूर्णत: लाभ नहीं ले पा रहा है ।मेहनत का फल बराबर नहीं मिल पा रहा है तथा उस व्यक्ति को जीवन में पग-पग पर विभिन्न परेशानियों एवं संघर्षों का सामना करना पड़ता है ।जीवन में मृत्यु तुल्य दुख भोग रहा हो, अनहोनी होती हो, समस्याएं निरंतर बढ़ती जा रही हों, यश, र्कीत तो कभी सामने आती ही न हो, दुश्मनों से परेशान हो, ऐसी स्थिति में टाइगर स्टोन वरदान सिद्ध होता है।इसे प्राणप्रतिष्ठा सिद्ध करा कर मध्यमा उंगली में शनिवार के दिन प्रात: धारण करना चाहिए।सोए हुए भाग्य को यह टाइगर रत्न जगा देगा ।
1. जन्म कुंडली में यदि किसी घर के शुभ फल आपको प्राप्त नहीं हो रहे हैं या यदि कोई ग्रह सोया हुआ है तो उस ग्रह के स्वामी ग्रह को जगाना अनिवार्य होता है, जिससे उस घर का शुभ फल मिलता है।
2. जन्म पत्रिका में कुयोग बन रहे हों तो उन योगों के कु प्रभावों को कम करने के लिए भी टाइगर रत्न धारण करना चाहिए ।
3. यदि आप निरंतर कर्ज में डूबते जा रहे हों तो कर्ज मुक्ति के लिए शुक्रवार के दिन सिद्ध किया हुआ स्टोन गले में लॉकेट के रूप में श्वेत धागे में धारण करें ।
4. बार-बार वाहन दुर्घटना में चोट लग जाती है तो तर्जनी उंगली में टाइगर स्टोन प्राणप्रतिष्ठा कराकर मंगलवार के दिन धारण करें ।
5. घर में जिन बच्चों व व्यक्तियों को बार-बार नजर लगती है , मानसिक तनाव रहता है तो उन्हें टाइगर स्टोन गले में धारण करना चाहिए ।
6. शत्रुओं से पीड़ित व्यक्ति मंगलवार के दिन टाइगर रत्न धारण करें ।
7. कार्य स्थल पर व अन्य जगहों से मान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि प्राप्त करने व यश, कीर्ति की पताका फहराने के इच्छुक टाइग रस्टोन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को तर्जनी उंगली में या अनामिका उंगुली में धारण करें ।
8. जो व्यक्ति अपनी पत्नी से घबराता हो या कलह से डरता हो एवं जिसकी पत्नी अधिक बोलती है, समाज में प्रतिष्ठा उसी के कारण कम हो तो टाइगर रत्न तर्जनी उंगली में पूर्णिमा के दिन धारण करें ।
9. जिसका व्यापार घाटे में जा रहा हो, सरकारी परेशानियां बढ़ती ही जा रही हों, वर्तमान में घाटा आ रहा हो तो टाइगर स्टोन शुक्ल पक्ष में बुधवार के दिन सूर्य की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए ।
10. जिस व्यक्ति का विवाह नहीं हो रहा हो, सगाई भी नहीं होती हो, तो उस जातक को टाइगर रत्न ऋषि पंचमी को तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।विवाह शीघ्र सुयोग्य लड़की से होगा।
11. जिस लड़की का विवाह नहीं हो रहा हो, सगाई छूट जाती हो या सगाई हो ही नहीं रही हो तो उस लड़की को नाग पंचमी को प्रात: नाग के दर्शन कर यह टाइगर स्टोन धारण करना चाहिए ।
12. जिन व्यक्तियों को सर्विस में नुक्सान हो रहा हो या कार्यस्थल में परेशानी हो तो टाइगर रत्न रविवार को दिन में धारण करने से लाभ होगा।
13. जिन व्यक्तियों के संतान होती है, वह मर जाती है तो दोनों पति-पत्नी बराबर वजन का टाइगर स्टोन प्राणप्रतिष्ठा करा कर शुक्ल पक्ष में जब स्त्री मासिक धर्म में हो तब एक साथ धारण करें ।संतान सुख मिल जाएगा, गर्भपात होता है तो तुरंत लाभ होगा ।
14. जिस घर में लड़ाई-झगड़ा अधिक होता हो तथा सुख-शांति न हो विशेष परेशानी हो, छोटी-छोटी बातों पर क्लेश हो जाता है तो उस परिवार का मुखिया टाइगर स्टोन सोमवार के दिन प्रात: आम के पत्ते के रस का अभिषेक कर धारण करे ।टाइगर स्टोन सिद्ध व प्राणप्रतिष्ठित होना चाहिए ।