सियार सिंगी या गीदड़ सिंगी एक प्रकार की हड्डी की गाँठ होती है , यह गांठ सभी सियारो के सर पर न होकर किसी-किसी सियार के सर पर ही पायी जाती है। शिकारी सपेरे और वन्य जातियो के लोग ऐसे सियार को पहचान कर उसे पकड़ कर वह गाँठ निकाल लेते हैं । और सियार सिंगी प्राप्त कर लेते है। आकर में यह आवले से ज्यादा बड़ी नहीं होती है | यदि किसी को मिल जाए तो इसे शुभ नक्षत्र मे विधि विधान से सिद्धि कर लेनी चाहिए |
यह एक तांत्रिक वस्तु है ,जिसका उपयोग आकर्षण ,वशीकरण,सम्मोहन,सुरक्षा,यश सम्मानबृद्धि ,धन -सम्पदा ,सुख -शांति ,के लिए किया जा सकता है| सियार सिंगी शत्रु पराभव,सामाजिक सम्मान ,शरीर रक्षा ,और श्री संमृद्धि लिए,आकर्षण-वशीकरण -सम्मोहन ,धनसंपदा ,सुख-शान्ति के लिए उपयोग की जा सकती है ,किसी शुभ तांत्रिक मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठितऔर अभिमंत्रित सियार्सिंगी वाद-विवाद ,युद्ध,संकट ,आपदा से बचाने वाली सिद्ध होती है,इसके असली होने की पहचान यही है की इसे सिंदूर में जब रख दिया जाता है तब सिंदूर पाकर बाल बढ़ने लगते है इसके बालों को न तो कभी नहीं काटना चाहिए और न ही गंदे हाथ लगाने चाहिए ,इसे घर में या दूकान मैं या तिजोरी में चांदी की डिब्बी में कामाख्या सिंदूर के साथ रखा जा सकता है |
यह बादामी रंग के मुलायम बालों से अवतरित होती है और इसपर एक छोटा सा जाऊ या गेहूं के दाने के बराबर काले रंग का सींग उगा होता है |यह प्रायः आंवले के बराबर होती है जो अधिकाँश गोलाकार ही होती है यह परम शक्तिशाली और प्रभावकारी वस्तु होती है |तांत्रिक विधि से इसका प्रयोग व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी होता है | इसको निम्न कार्यों में अद्भुत सफलता दायक ekuk जाता है |
अगर व्यापार न चल पा रहा हो या जीवन में उन्नति न हो पा रही हो तो इस साधना को करना चाहिए. कई बार इर्ष्या के कारण कुछ लोग तंत्र प्रयोग कर देते हैं जिससे दूकान में ग्राहक नहीं आते यां कार्य सफल नहीं होते. इन परस्थितियों में भी यह प्रयोग राम बाण की तरह असर करrh है.
धन-सम्पति, वशीकरण, शत्रु शमन मे व्यक्ति सशक्त हो जाता है जिस व्यक्ति के पास यह होती है उसे किसी बात कि कमी नहीं होती , उसकी सारी इच्छाये अपने आप पूरी हो जाती है
इसे राहु केतु एवं शनि की अनिष्टकारी महादशा में व्यक्ति को हमेशा अपने पास रखनी चाहिए |
ज्योतिषचर्य एवं वास्तु शिरोमणि
देवी दास धर्मवीर अत्रि